महिला हिंसा रोकने के लिए आईएलओ कॉन्वेनशन लागू करने को लेकर श्रम मंत्री को सौंपा ज्ञापन, झारखंड प्रदेश कांग्रेस अल्पसंख्यक मोर्चा के प्रदेश उपाध्यक्ष तस्लीमा ने कही बलात्कार जैसे गंभीर मामलों के लिए फर्स्ट ट्रैक कोर्ट बनाया जाय
Demand to implement ILO Conventionसरायकेला: झारखंड प्रदेश अल्पसंख्यक मोर्चा के प्रदेश उपाध्यक्ष तस्लीमा मल्लिक ने राज्य के श्रम मंत्री को पत्र लिख महिला सुरक्षा की वकालत की है। उन्होंने महिला हिंसा रोकने के लिए आईएलओ कॉन्वेनशन लागू करने व बलात्कार जैसे गंभीर मामलों के लिए फर्स्ट ट्रैक कोर्ट बनाने की मांग की है।
उन्होंने श्रम मंत्री के नाम डीसी को सौंपे पत्र में उल्लेख है कि राष्ट्रीय श्रम स्वास्थ्य एवं पर्यावरण फोरम (एनपीएलएचई) और फातिमा वेलफेयर ट्रस्ट को आईटीयूसी के नेतृत्व में किए जा रहे वैश्विक प्रयासों के साथ जुड़ने पर गर्व है और हम महिलाओं के अधिकारों की रक्षा करने तथा कार्यस्थल पर हिंसा और उत्पीड़न से निपटने के लिए अपनी साझा प्रतिबद्धता की पुष्टि करते हैं। वर्ष 1979 में संयुक्त राष्ट्र महासभा ने महिलाओं के खिलाफ सभी प्रकार के भेदभाव के उन्मूलन पर कन्वेंशन को अपनाया फिर भी महिलाओं और लड़कियों के खिलाफ हिंसा एक व्यापक मुद्दा बनी हुई है। महिलाओं और लड़कियों के खिलाफ हिंसा की महामारी मानवता के लिए शर्म की बात है।जॉर्जटाउन इंस्टीट्यूट फॉर वूमेन पीस एंड सिक्योरिटी द्वारा जारी महिला शांति और सुरक्षा सूचकांक 2023 के अनुसार महिलाओं के समावेश, न्याय और सुरक्षा के मामले में भारत 177 देशों में से 128 वें स्थान पर है। भारत में महिलाओं और लड़कियों के खिलाफ हिंसा एक गंभीर और व्यापक मुद्दा है। जो लिंग पूर्वाग्रह और पितृसत्तात्मक सामाजिक मानदंडों के कारण और भी गंभीर हो गया है। जो महिलाओं को बहुत कम अधिकार देते हैं। जागरूकता में कमी और सामाजिक पूर्वाग्रहों के डर से उनके खिलाफ अपराधों की रिपोर्ट करने से रोकते हैं। विभिन्न कार्यस्थल पर भी महिलाओं को लैंगिक हिंसा का अधिक जोखिम होता है। भारत एक ऐसा देश है जहां महिलाओं को देवी के रूप में पूजा जाता है। लेकिन जब महिला सुरक्षा की बात आती है तो भारत खतरनाक अत्याचारों का केंद्र बना हुआ है। बलात्कार, छेड़छाड़,घरेलू हिंसा,मारपीट, बाल विवाह और दहेज के मामलों जैसे महिला सुरक्षा के मुद्दों की भरमार है। पिछले 10 वर्षों में भारत में महिलाओं पर अत्याचार कई गुना बढ़ गई है। महात्मा गांधी ने कहा था जिस दिन एक महिला रात में सड़कों पर स्वतंत्र रूप से चल सकेगी उस दिन हम कह सकते हैं कि भारत ने स्वतंत्रता प्राप्त कर ली है। उन्होंने पत्र के माध्यम से राज्य और केंद्र सरकार से मांग की है कि महिला अधिकार संगठनों और कार्यक्रमों के लिए फण्ड बढ़ाए और जीवन रक्षक कार्यक्रमों में निवेश करें। सरकार को बलात्कार जैसे गंभीर मामलों के लिए फास्ट-ट्रैक कोर्ट बनाने और महिलाओं के अधिकारों के लिए लड़ने वाले संगठनों और कार्यक्रमों के लिए फण्ड बढ़ाने की ज़रूरत है। न्यायपालिका में महिलाओं का प्रतिनिधित्व और महिलाओं के खिलाफ हिंसा को रोकने के लिए विशेष पुलिस इकाइयों को लागू करना है।जैसा कि तेलंगाना पुलिस के पास एसएचई टीमें महिलाओं को सुरक्षा और सहायता प्रदान करती हैं। इसलिए हम न्याय और जवाबदेही के लिए तत्काल कार्रवाई करने और आईएलओ कन्वेंशन सी 190 और सिफारिश आर 206 के समर्थन और कार्यान्वयन की वकालत और मांग का समर्थन करते हैं। मौके पर कई अन्य उपस्थित थे।