कुचाई पुलिस ने गौ-तस्करी पर कसा शिकंजा, कुचाई
के सुदूरवर्ती पहाड़ी क्षेत्र तरम्बा-सियाडीह से तस्करी कर रहे 292
बैल जब्त, दो संदिग्ध हिरासत मे, कुचाई बना तस्करी का केन्द्र
kuchai कुचाई के सुदूरवर्ती नक्सली पहाड़ी क्षेत्र गौ-तस्करी का सुरक्षित ठिकाना बंन चुका है। साथ ही धडल्ले से गौ-तस्करी का धंधा फल-फूल रहा है। इसका खुलासा कुचाई थाना अंतर्गत दलभंगा ओपी क्षेत्र में पुलिस ने एक बार फिर मवेशी तस्करी के बड़े खेल का भंडाफोड़ कर किया है। कुचाई पुलिस ने गौ-तस्करी पर शिकंजा करते हुए कार्रवाई की है। कुचाई गौ-तस्करी का बडा केन्द्र बन चुका है। जिला पुलिस अधीक्षक मुकेश कुमार लुणायक को मिले गुप्त सूचना के आधार पर कुचाई के के सुदूरवर्ती पहाड़ी क्षेत्र तरम्बा सियाडीह इलाके में चलाए गए विशेष अभियान के तहत पुलिस ने लगभग 292 से अधिक बैल जब्त किए हैं। जिन्हें पैदल तस्करी कर सुरक्षित जोन तक पहुंचाया जा रहा था। इस दौरान दो संदिग्ध तस्करों को भी हिरासत में लिया गया है। जिनसे गहन पूछताछ जारी है। सूत्रों का कहना है कि दर्जनों बैलों के पैरों में घोड़ा के पैर की तरह लोहे का नाल भी ठोका हुआ है। हांलाकि प्रशासन के द्वारा अभी तक इसकी आधिकसरिक पुष्टी नही की गई है।
गुप्त सूचना पर चली कार्रवाई, बड़ी साजिश नाकाम
पुलिस को लंबे समय से खबरें मिल रही थीं कि कुचाई के दलभंगा क्षेत्र से लगातार रात के अंधेरे में भारी संख्या में मवेशी पैदल सीमा पार कराए जा रहे हैं। गुप्त सूचना के आधार पर इस बार पुलिस ने सटीक रणनीति बनाकर छापेमारी की, जिसमें यह बड़ी सफलता हाथ लगी। पकड़े गए मवेशी तस्कर दलभंगा के जंगल और पगडंडी रास्तों का इस्तेमाल कर मवेशियों को धीरे-धीरे सुरक्षित ठिकानों तक पहुंचाते थे। जहाँ से उन्हें वाहनों में लादकर राँची जिले के तमाड़ क्षेत्र होते हुए बंगाल और अन्य राज्यों में भेजा जाता था।
दलभंगा सीआरपीएफ कैम्प में बनाए गए बैलों के लिए अस्थायी शरणालय
कुचाई के दलभंगा क्षेत्रों से जब्त किए गए सभी बैलों को फिलहाल दलभंगा सीआरपीएफ कैम्प में रखा गया है। सूत्रों के मुताबिक, इतनी बड़ी संख्या में मवेशी एक साथ बरामद होना यह बताता है कि तस्करी का यह धंधा अब संगठित गिरोहों के हाथ में चला गया है, जो स्थानीय प्रशासन की ढिलाई का फायदा उठाकर अपनी जड़ें गहरी कर चुके हैं।
कुचाई प्रमुख ने ली स्थिति की जानकारी
कुचाई के दलभंगा क्षेत्रों में गौ-तस्करी सूचना मिलते ही कुचाई प्रमुख गुड्डी देवी भी घटनास्थल पर पहुंचीं। उन्होंने जब्त मवेशियों का जायजा लिया और पुलिस अधिकारियों से पूरे मामले की विस्तृत जानकारी ली। प्रमुख ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि क्षेत्र में लगातार मवेशी तस्करी की बढ़ती घटनाएं बेहद गंभीर चिंता का विषय हैं। यदि प्रशासन ने सख्त कदम नहीं उठाए तो कुचाई क्षेत्र अपराधियों का गढ़ बन जाएगा। गुड्डी देवी ने दोषियों पर कठोर कार्रवाई की मांग करते हुए कहा कि पुलिस को सिर्फ छोटे-मोटे तस्करों पर कार्रवाई करने के बजाय पूरे नेटवर्क को ध्वस्त करना चाहिए।
पुलिस की चुप्पी, लेकिन अंदरखाने मचा हड़कंप
पुलिस ने अभी तक इस मामले पर आधिकारिक तौर पर कुछ भी बयान नहीं दिया है। मगर सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, हिरासत में लिए गए संदिग्धों से पूछताछ में कई अहम सुराग मिले हैं। ऐसा माना जा रहा है कि इस गिरोह के तार अन्य राज्यों से भी जुड़े हो सकते हैं। अधिकारियों के मुताबिक, पूछताछ पूरी होने के बाद बड़े नेटवर्क के खिलाफ सघन छापेमारी अभियान चलाया जाएगा।
तरम्बा-सियाडीहः तस्करों का नया सेफ कॉरिडोर
कुचाई के ग्रामीणों का कहना है कि कुचाई के तोरम्बा सियाडीह, गालुडीह, केरकेटा चौक आदि क्षेत्र पिछले कुछ वर्षों में मवेशी तस्करों के लिए सुरक्षित कॉरिडोर बन चुका है। रात के समय सैकड़ों मवेशियों को पैदल चलाकर बिना किसी रोकटोक के पार कराना आम बात हो गई है। ग्रामीणों ने कई बार प्रशासन को इस बारे में शिकायत की थी, लेकिन कार्रवाई के नाम पर सिर्फ कागजी खानापूर्ति की गई। नतीजा यह है कि अब तस्कर बेखौफ होकर इलाके में सक्रिय हो गए हैं।
राजनीतिक संरक्षण की भी चर्चाएं
सूत्रों का दावा है कि इस अवैध कारोबार के पीछे कुछ स्थानीय प्रभावशाली दलालों का भी संरक्षण है, जिसके कारण तस्कर निडर होकर काम कर रहे हैं। पुलिस भी कई बार इस दबाव के चलते बड़े तस्करों तक पहुँचने में असफल रही है। हालांकि इस बार की कार्रवाई से यह संदेश गया है कि चाहे कोई कितना भी रसूखदार क्यों न हो, अब मवेशी तस्करी के खिलाफ कड़ा अभियान चलेगा।
गिरोह का ऑपरेशन मॉड्यूल सामने आया
पूछताछ में खुलासा हुआ है कि गिरोह पहले कोल्हान क्षेत्र के अलग-अलग गाँवों से मवेशी खरीदता है। इसके बाद इन मवेशियों को रात के वक्त तरम्बा, दलभंगा और आसपास के सुरक्षित पगडंडी रास्तों से पैदल पार कराया जाता है। सीमा पार करने के बाद पहले से तैयार ट्रकों में मवेशी लादकर उन्हें राँची के तमाड़ क्षेत्र के रास्ते बंगाल या अन्य राज्यों की मंडियों में भेजा जाता है, जहाँ मोटे मुनाफे में उनकी बिक्री होती है। तस्करी में स्थानीय युवक, गाड़ी चालक, बिचौलिये और कुछ कथित व्यापारी भी शामिल बताए जा रहे हैं।
ग्रामीणों ने उठाई स्थायी पुलिस चौकी की मांग
लगातार बढ़ती तस्करी की घटनाओं से आहत स्थानीय ग्रामीणों ने प्रशासन से कुचाई के तरम्बा सियाडीह क्षेत्र में स्थायी पुलिस चौकी स्थापित करने की मांग की है। ग्रामीणों का कहना है कि जब तक क्षेत्र में पुलिस की लगातार उपस्थिति नहीं रहेगी, तब तक मवेशी तस्करी पर पूरी तरह से लगाम लगाना संभव नहीं होगा।
अगला निशाना गिरोह के मास्टरमाइंड
सूत्र बताते हैं कि पुलिस की अगली योजना तस्करी के मास्टरमाइंड तक पहुँचने की है। अभी हिरासत में लिए गए तस्करों से जो जानकारियाँ मिल रही हैं, उनके आधार पर जल्द ही कई और स्थानों पर छापेमारी हो सकती है। पुलिस का दावा है कि इस बार पूरे नेटवर्क को ध्वस्त करने का लक्ष्य है, ताकि क्षेत्र को इस संगठित अपराध से मुक्त कराया जा सके।
अवैध धंधे को जड़ से खत्म कर पाती है या नहीं?
कुचाई के दलभंगा क्षेत्र के तरम्बा सियाडीह क्षेत्र, कुचाई के बाण्ड्री के रास्ते जेनालोग बाडेडीह, गालुडीह-केरकेटा, अरूवा के रास्ते में मवेशी तस्करी का जो खेल कई वर्षों से चल रहा था। पिछले 13 दिसम्बर 2024 को कुचाई के मरांगहातु के रास्ते गौ-तस्करी कर रहे 46 बैल जब्त किया गया था। इससे पहले कुचाई के बाण्ड्री में ग्रामीणों गौ-तस्करी कर रहे मवेशियो को पकड कर पुलिस के हवाले किया था। जिससे मामले का रफा-दफा कर दिया था। एक बार फिर मामला सामने आ चुका है। लगभग 292 बैल की जब्ती से यह साफ हो गया है कि तस्करी का धंधा न सिर्फ बड़े पैमाने पर हो रहा है, बल्कि इसमें कई स्तरों पर संगठित नेटवर्क भी काम कर रहा है। अगर प्रशासन समय रहते कठोर कदम नहीं उठाता, तो यह क्षेत्र जल्द ही संगठित अपराधियों का अड्डा बन जाएगा। अब देखना यह है कि पुलिस इस कार्रवाई को आगे कितनी मजबूती से बढ़ाती है और इस अवैध धंधे को जड़ से खत्म कर पाती है या नहीं? यह बडा सवाल है।