खरसावां के उ0प्रा0वि0 ढिपासाई विलय का मामला सात साल
बाद पुनः उठा, स्कूल विलय मामले पर प्रखंड शिक्षा समिति की बैठक,
स्कूल के भौतिक सत्यापन के बाद लिया जाएगा अंतिम निर्णय
Meeting on Dhipasai school merger matter, खरसावां के उत्क्रमित प्राथमिक विद्यालय ढिपासाई विलय का मामला सात साल बाद पुनः मामला उठ चुका है। स्कूल विलय के निर्णय को चुनौती देते हुए स्कूल विलय के विरोध में खरसावां के ढीपासाही गांव के निवासी मकरो हो ने उच्च न्यायालय में केंस संख्या डब्लू पी सी नंबर-4250/2018 के तहत मामला दर्ज करते हुए न्याय की गुहार लगाया है। स्कूल विलय के बावजूद ढिपासाई स्कूल के विगत सात सालों बच्चे बिना मध्यान भोजन के स्कूल में पठन पाठन कर रहे थे। विगत 11 मार्च 2023 से ई-विद्या वाहिनी पोर्टल में गलत यू-डायस कोर्ड दर्ज कर बच्चों अटेडेंस बंद कर दिया गया है। स्कूली बच्चों को सरकार के द्वारा कोई सुविधा नही दिया जा रहा है। इसके बावजूद ग्रामीण श्रमदान के तहत अपने बच्चों का पठन पाठन करा रहे है। स्कूल विलय मामले को लेकर माननीय उच्च न्यायालय रांची के न्यायदेश के आलोक में सोमवार को खरसावां प्रखंड मुख्यालय में प्रखंड शिक्षा समिति की एक बैठक खरसावां प्रखंड बिकास पदाधिकारी प्रधान माझी की अध्यक्षता में की गई। इस बैठक में निर्णय लिया गया कि खरसावां के उत्क्रमित प्राथमिक विद्यालय ढिपासाई विलय मामले पर भौतिक सत्यापन के बाद ही अंतिम निर्णय लिया जाएगा। हालाकि बैठक में समिति के सदस्यो ने सरकारी गाइडलाइन के आधार पर स्कूल को पुनः खोलने पर सहमति दी। वही स्कूल क्षेत्र के भौतिक सत्यापन और शिक्षा विभाग के वरीय पदाधिकारियों से विचार विमर्श के बाद ही अंतिम निर्णय लिया जाएगा। वर्तमान में उत्क्रमित प्राथमिक विद्यालय ढिपासाई में 44 छात्र-छात्राए अध्ययनरत है। इस बैठक में मुख्य रूप से बीडीआंे प्रधान माझी, प्रमुख मनेन्द्र जामुदा, सीओ कप्तान सिंकू, बीईईओ नवल किशोर सिंह, बीपीओ पंकज कुमार महतो, जिप कालीचरण बानरा, सांसद प्रतिनिधि प्रमेन्द्र कुमार मिश्रा, विधायक प्रतिनिधि अनुप सिंहदेव, शिक्षक माजीद खान, बीपीओ रानो बास्के आदि उपस्थित थे।
वर्ष 2016-17 में ढिपासाई स्कूल को किया था मर्ज
ज्ञात हो कि झारखंड शिक्षा परियोजना परिषद के तत्कालिन निदेशक किरण कुमारी पासी के द्वारा जिला उपायुक्तो को लिखे पत्र का हवाला देते हुए वर्ष 2016-17 एवं उसके बाद विभिन्न जिलों में 4098 विद्यालयों को निःशुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा द्वारा निर्धारित मानक एक किलोमीटर के दायरे में एक प्राथमिक विद्यालय के स्थान पर एक से अधिक प्राथमिक विद्यालय रहने अथवा एक ही परिसर में एक से अधिक विद्यालय संचालित रहने के कारण प्रशासनिक एवं भोगौलिक रूप से मर्ज कर दिए गए है। उसी तरह ऐसे मध्य विद्यालयों जो निर्धारित 3 कीलोमीटर के परिधि में एक से अधिक विद्यालय रहने तथा छात्र संख्या जिन विद्यालयों में नगन्य थी, वैसे विभिन्न जिलों में 527 विद्यालयों को अवक्रमित कर प्राथमिक विद्यालय बनाया गया। इसका हवाला देते हुए ग्रामीणों ने विद्यालय को पुनः चालु कराने की मांग की है।
अध्ययनरत छात्रों नही मिल रहा कोई सरकारी लाभ
खरसावां के उत्क्रमित प्राथमिक विद्यालय ढिपासाई में अध्ययनरत छात्र-छात्राओं को कोई भी सरकारी लाभ नही मिल रहा है। शिक्षा विभाग द्वारा विद्यालय को विकास राशि, मध्यान भोजन, पोषक छात्रवृति,ं किट, विद्यालय में कार्यरत शिक्षक, रसोईया को भी मानदेय का भुगतान नही किया जा रहा है। जिस कारण विद्यालय के समक्ष समस्याए उत्पन हो रही है।
ढिपासाई स्कूल को षड़यंत्र के तहत विलय करने का आरोप
खरसावां के ढिपासाई के ग्रामीणो ने आरोप लगाया कि उत्क्रमित प्राथमिक विद्यालय ढिपासाई को एक षड़यंत्र के तहत विलय कर दिया गया है। जो विलय के दायरे नही आता है। ग्रामिणो के विरोध करने के बाद किसी ने नहीं सुनी। बाध्य होकर हमे उच्च न्यायलय के शरण में जाना पड़ा और 23 अगस्त 2018 का डब्लू पी सी केस दायर किया गया। जिसका निर्णय 25 जनवरी 2024 को हो गया है। न्यायालय ने साफ निदेर्शित किया गया है कि उत्क्रमित प्राथमिक विद्यालय ढिपासाई से उत्क्रमित मध्य विधालय दितसाई की दूरी मात्र 500 मीटर दर्शाया गया है जो कि गलत है। गणमान्य व्यक्तियों द्वारा विद्यालय से विद्यालय की दूरी नापी की गई। जो एक किलोमीटर है। माननीय उच्च न्यायल्य का भी निर्देश यह है कि विद्यालय से विद्यालय की दूरी की सत्यापन पत्र प्राप्त तीन महीने निश्चित रूप से करना है। इस संबंध में माननीय उच्च न्यायलय के निर्णय प्रति शिक्षा विभाग झारखंड सरकार उपलब्ध कराने का निर्देश था। जो विद्यालय प्रबन्धन समिति अध्यक्ष के द्वारा शिक्षा सचिव झारखंड सरकार, उपायुक्त सरायकेला-खरसावां, जिला शिक्षा अधीक्षक सरायकेला खरसावां एवं प्रखंड शिक्षा प्रसार पदाधिकारी खरसावां को भी एक प्रति उपलब्ध पत्रचार के माध्यम किया गया। लेकिन बड़ी दुख की बात यह है कि अब तक किसी प्रकार की कार्यवाई नहीं हुई।
यह है मामला
शिक्षा का अधिकार अधिनियम के मापदंड का पालन नही करने के वाले स्कूल विलय प्रक्रिया के तहत खरसावां प्रखंड के ढिपासाई गांव में संचालित उत्क्रमित प्राथमिक विधालय का विलय उत्क्रमित मध्य विधालय दितसाही में करने का निर्णय शिक्षा विभाग के द्वारा लिया गया था। स्कूल विलय के विरोध में ढिपासाई के ग्रामीणों ने विगत 18 जुन 2018 को तत्कालिन खरसावां प्रखंड शिक्षा प्रसार पदाधिकारी वचन लाल यादव से मुलाकात कर एक ज्ञापंन सौपा था। जिसमें स्कूल विलय प्रक्रिया को स्थगित कर उच्चस्तरीय जांच की मांग किया था। वही 5 मई 2018 को भी तत्कालिन उपायुक्त को ज्ञापंन सौपकर उत्क्रमित प्राथमिक विधालय ढिपासाई को विलय प्रक्रिया से मुक्त रखने की अपील किया था। इसके बावजुद शिक्षा विभाग ने स्कूल का विलय करने का निर्णय लिया। जिसके विरोध में ग्रामीणों ने बच्चों की पढाई बंद कर देगे लेकिन दुसरे गांव के स्कूल में नही भेजने का निर्णय लिया। वही ग्रामीणों ने उच्च न्यायालय में केंस दायर कर न्याय की गुहार लगाई। वही ढिपासाई स्कूल में ही बच्चों को पढाने का निर्णय लिया। जबकि स्कूल विलय का हवाला देते हुए शिक्षा विभाग ने मध्यान भोजन की राशि व चालन बंद कर दिया। जिसके कारण मध्यान भोजना विगत 2 जुलाई 2018 से बंद हो गया है।