खरसावां में नौ दिवसीय संगीतमय श्रीराम कथा के
छठे दिन बाली का वध कथा सुन श्रद्धालु भावविभोर, रामलीला
हमारी धरोहर हैं, इसका हर प्रसंग जीवन में सीख देती है- दिव्यांशी
kharsawan खरसावां पंचायत भवन प्रांगण में श्री रामकृष्ण कथा कमिटि बेहरासाई के द्वारा आयोजित नौ दिवसीय संगीतमय श्रीराम कथा के छठे दिन कक्षा सुनने के लिए आसपास के गांवों से बड़ी संख्या में नर-नारी जुटे हुए थे। रामकथा के दौरान कथावाचक दीदी दिव्यांशी ने बाली का वध का वर्णन किया गया।
बाली का वध की कथा सुन श्रद्धालु भावविभोर हो गए। कथावाचक दीदी दिव्यांशी ने कहा कि रामलीला हमारी धरोहर हैं। यह संयुक्त परिवार, बड़े-छोटे का सम्मान सिखाती है। इसका हर प्रसंग जीवन में सीख देती है। उन्होने बताया कि सबसे पहले सीता की खोज में राम वन-वन घूमते हुए ऋष्यमूक पर्वत पर पहुंच गए हैं। वहां पर राम और लक्ष्मण को देखकर सुग्रीव के मन में शंका हो रही है। दोनों भाइयों के बारे पता लगाने के लिए हनुमान को भेजते हैं। इस पर हनुमान ब्राह्मण का रूप धरकर गए। इसके बाद प्रभु राम ने अपना परिचय दिया और वन में भ्रमण करने के कारणों के बारे में बताया। इसके बाद प्रभु राम को पहचानकर हनुमान ने उनके चरण पकड़ लिए। यह दृश्य देखकर दर्शक भावुक हो गए। इसके बाद वानर राज बाली का दरबार दिखाया जाता है। जहां हनुमान द्वारा राम-लक्ष्मण की सुग्रीव से मुलाकात का वृतांत सुनाता है। इतनी ही देर में बाली के महल के बाहर आकर सुग्रीव उसे युद्ध के लिए ललकारता है। दोनों भाईयों में गदा युद्ध होता है। श्री राम अपने धनुष से बाली को मार देते हैं। इसके बाद सुग्रीव का राजतिलक होता है। कथा वाचक ने बाली का वध की कथा का मनमोहक वर्णन किया। जबकि आगामी 5 मार्च को आयोजित होने वाला भजन संध्या स्थगित कर दिया गया है।