खरसावां में नौ दिवसीय संगीतमय श्रीराम कथा के
चौथे दिन अहिल्या उद्धार की कथा सुन श्रद्धालु भावविभोर,
भक्ति के शक्ति के बल पर ज्ञान कि प्राप्ति होती है-दिव्यांशी
kharsawan खरसावां पंचायत भवन प्रांगण में श्री रामकृष्ण कथा कमिटि बेहरासाई के द्वारा आयोजित नौ दिवसीय संगीतमय श्रीराम कथा के चौथे दिन कथा का श्रवण करने आसपास के गांवों से बड़ी संख्या में नर-नारी जुटे हुए थे। रामकथा के दौरान कथावाचक दीदी दिव्यांशी ने जनकपुरी कथा और अहिल्या उद्धार का वर्णन किया गया। जनकपुरी और अहिल्या उद्धार की कथा सुन श्रद्धालु भावविभोर हो गए।
कथावाचक दीदी दिव्यांशी ने कहा कि भक्ति के शक्ति के बल पर ज्ञान कि प्राप्ति होती है। उन्होने कहा कि जनकपुरी की सुंदरता बहुत खूबसूरत थी जिसका वर्णन नहीं किया जा सकता। भगवान राम आदर्श रूप प्रस्तुत करके समाज मे अच्छाईयों का संदेश दिया है। वही कथावाचक दिव्यांशी ने अहिल्या उद्धार की कथा का वर्णन करते हुए कहा कि इस कथा के मुताबिक, राम ने गुरु विश्वामित्र के साथ मिथिला के राजा जनक के यहां धनुष यज्ञ में शामिल होने जा रहे थे। रास्ते में उन्हें एक आश्रम मिला जहां एक विशाल पत्थर का टुकड़ा पड़ा था। इस पत्थर पर ही श्रापित अहिल्या विराजमान थीं। राम ने अहिल्या को मुक्त कराने की कोशिश की, लेकिन सूर्य वंश में स्त्री को पैर से छूना मना था। तब पवन देव ने अपने झोकों से प्रभु के चरणों की धूल पत्थर पर डाल दी। चरण रज पाते ही पत्थर नारी हो गई। अहिल्या को प्रगट होते ही वहां ब्रह्मा, शंकर सहित अनेक देव गण पहुंच गए और भगवान राम का जयघोष करने लगे। कथा वाचक ने राम जन्म से लेकर अहिल्या उद्धार तक की कथा का मनमोहक वर्णन किया। कथा के मध्य प्रभु राम के बाल रूप की झांकी भी प्रस्तुत की गई, जिसे देख श्रोता मंत्रमुग्ध हो उठे।