खरसावां के डेमकागोडा में मना 15 वॉ वनाधिकार
स्थापना दिवस, पैड़-पोधे, पशु-पक्षी व वन संरक्षण पर संक्लप
जैव विविधताओं का संरक्षण पर ध्यान देना जरूरी है-सोहन
kharsawan खरसावां प्रखण्ड के अर्न्तगत सिलपिगंदा के डेमकागोडा में आदिवासी परंपरानुसार 15 वाँ वनाधिकार स्थापना दिवस हर्साेल्लास के साथ मानाया गया। इस दौरान विभिन्न्ा गांवो से पहुचे वनाश्रितों ने गांव के पश्चिमी छोर से पारपंरिक रीति रिवाज व नृत्य के तहत जुलूस निकालकर पत्थरगाड़ी स्थल तक पहुचे। और विधि विधान से पूजा अर्चना कर वनाधिकार स्थापना दिवस मनाया। साथ ही पैड़-पोधे, पशु-पक्षी, वन, पहाड़, फल-फूल, जीविकोपार्जन व वन संरक्षण की रक्षा के लिए सामुहिक रूप से संक्लप लिया।
ग्राम सभा ने 2013 में ही पत्थरगाड़ी किया है। पत्थर को पवित्र माना गया है। क्योंकि आदिवासी सामुदाय प्राकृतिक उपासक है। ग्रामीण मुंडा वोसेन मुंडा ने स्वय पत्थर तथा पेड़-पौधों तथा फूलों को पूजा अर्चना किया। कुल 1213.56 एकड़ वन भूमियों पर वनाधिकार प्रमाण-पत्र दिया गया है। इस ग्राम में 2013 को ही सामुदायिक वनाधिकार प्रमाण-पत्र सरकार ने दे दिया है। सरकार ने वनाधिकार कानून 2006 के धारा 3 (1) ख, ग, घ, च, छ, झ, ज्ञ, ट तथा ठ के तहत सामुदायिक वन संसाधनों पर उपयोग करने का अधिकार दिया गया है। साथ धारा 5 के तहत सामुदायिक वन संसाधनों के संरक्षण, संबर्धन, उपयोग, पुनुर्रुज्जीवित और प्रबंधन करने का अधिकार मान्य किया गया है। इस दौरान मुख्य रूप से उपस्थित सामुदायिक वन पालन संस्थान के सोहन लाल कुम्हार ने कहा कि इस ग्राम में 2013 के पूर्व जंगल का घनत्व नगण्य था। लेकिन वनाधिकार प्रमाण-पत्र मिलने के बाद वनाश्रितों में जंगल के प्रति अपनात्व की भावना बढी़ और। जंगलों को संरक्षण करने लगे जो वर्तमान् समय मे जंगलों की घनत्वा में बहुत बृद्धि हो गई है। श्री कुम्हार ने वनाश्रितों को जागरुक करते हुए कहा कि वैध फसलों का खेती करें। महुआ चुनने तथा तेन्दू पत्ती की मात्रा बढा़ने के नाम पर आग न लगाया जाये। शिकार के नाम पर भी आग न लगाया जाये तथा किसी भी प्रकार के वन्य प्राणियों को न मारा जाये। जैव विविधताओं का संरक्षण करने पर ध्यान देने की जरूरत है। जबकि भरत सिंह मुंडा ने कहा कि जंगलों के विनाश के कारण ही जलवायु परिवर्तन में निरंतर उथल-पथल हो रही है। जंगलो के कारण ही स्वच्छ हावा, तथा जलवायु परिवर्तन संतुलन वना रहता है तथा बर्षा भी होती है। इस दौरान मुख्य रूप से सोहन लाल कुम्हार, भरत सिंह मुंडा, वोसेन मुंडा, बुधराम गोप, बाबलु मुर्मु, सुखराम सरदार, आदि उपस्थित थे।