खरसावां में कपडा बनाकर विदेश भेजने का प्रोजेक्ट
सिल्क पार्क 14 साल से अधुरा, वर्ष 2011 को हुआ था शिलान्यास
फाईलों में उलझ कर रह गया 25 करोड का पार्क
kharsawan सिल्क उत्पादन में झारखंड देश का सबसे बडा उत्पादन राज्य है। कुचाई सिल्क ने झारखंड के साथ-साथ विश्व में अपनी पहचान कायम की है। इस सिल्क को अग्रेनिक सिल्क का दर्जा प्राप्त हो चुका है। अग्रेनिक सिल्क का सटिफिक्शेन दुनिया के किसी भी देश के पास नही है। अगर सिल्क का सटिफाईट प्रमाण देना है तो वह झारखंड ही दे सकता है। उधोग विभाग झारखंड सरकार खरसावां से कपडा बनाकर विदेशों में भेजने की योजना के तहत कुचाई सिल्क को दुनिया के कोने-कोने तक पहुचानें के लिए खरसावां के मुरूमडीह में 12 नवबर 2011 को 25 करोड की लागत से बनने वाला सिल्क पार्क का शिलान्यास किया था। लेकिन उधोग विभाग का यह महात्वाकांक्षी योजना फाईलों में उलझकर रह गई है। सिल्क पार्क के शिलान्यास के 14 वर्षो के बाद पार्क निर्माण कार्य के नाम पर मात्र चार दिवारी का निर्माण कार्य हुआ है। सिल्क पार्क की कल्पना कर रहे लोग धिरे-धिरे भुलने लगे है। सिल्क पार्क के लिए चिन्हित जमीन मवेशियों का चरगाह बन चुका है। चार दिवारी का गेट भी जंग लगने लगा है।
10 हजार को रोजगार देने का उदेश्य अधर में
झारखंड सरकार उधोग विभाग का उदेश्य था कि खरसावां में सिल्क पार्क से कपडा की बुनाई कर विदेशों में भेजा जाएगा। इस पार्क से 10 हजार लोगों को रोजगार मिलेगा। खरसावां व कुचाई में तसर कोऐ उत्पाद के लिए 15 हजार किसान, तसर सूत कटाई पर 4 हजार महिला तथा धागाकरण पर 6 हजार महिलाओं को प्रशिक्षण दिया गया है।