खरसावां के बाघरायडीह में श्रीमद्भागवत कथा
संर्पन्न, श्रद्वालुओ की उमड़ी भीड, श्रीकृष्णजी की लीलाएं
सुनकर वे अपनी मृत्यु के भय से भयमुक्त हो गए,
kharsawan खरसावां प्रखंड अन्तर्गत बाघरायडीह के हरि मन्दिर प्रांगण में आयोजित सात दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा रविवार को संर्पन्न हो गई। पंडित रामानाथ होता जी के मुखारविंदु से कथा के समापन काफी संख्या में श्रद्वालु पहुंचकर श्रीमद्भागवत कथा का आनंद लिया। कथा के अंतिम दिन सात दिनों तक भागवत कथा के जरिए से ज्ञान गंगा प्रवाहित करने वाले पंडित रामा नाथ होता, यगेश महापात्र, बसंत प्रधान, नागेश्वर प्रधान, कृष्णा प्रधान, दिनेश प्रधान, रधावलभ प्रधान, अजीत प्रधान का सम्मान किया। कथा आयोजक परिवार ने उन्हें शाल श्रीफल भेंटकर उनका सम्मान किया। कथा समापन के अवसर पूर्णाहुति हवन और महाप्रसादी का भी आयोजन हुआ। श्रीमद्भागवत कथा के अंतिम दिवस कथा वाचक पंडित रामानाथ जी ने श्रीकृष्ण सुदामा मित्रता श्रीकृष्ण के पूरे परिवार एवं राजा परीक्षित मोक्ष की कथा श्रवण कराई। आपने धर्मसभा में कहा कि राजा परीक्षित ने सुखदेव के मुखारविंद से जब तक उन्होंने श्रीमद्भागवत ने नहीं सुनी थी। तब तक वे अपनी मृत्यु के भय से भयभीत थे। हालांकि सातदिवस तक पूरे मनोभाव से भगवान विष्णु के सभी अवतारों व श्रीकृष्णजी की लीलाएं सुनकर वे अपनी मृत्यु के भय से भयमुक्त हो गए। श्रीमद्भागवत मनुष्य को भय से मुक्त करती है। मनुष्य जो कि सांसारिक मोह बंधनों से बंधा है। वह यदि श्रीमद्भागवत को मनोभाव से सुनता है तो उसको सभी मोह बंधनों से मुक्ति मिलती है तथा वह भगवान हरि के चरणों में स्थान पा लेता है। श्रीमद्भागवत के सभी अक्षर जीवन में नई प्रेरणा देते है।
मित्रता को लाभ हानि के तराजू में नहीं तौले-रामानाथ होता
पंडित रामानाथ जी ने कहा कि मित्रता को लाभ हानि के तराजू में नहीं तोलना चाहिये। श्री कृष्ण ने सुदामा के साथ उज्जैनी में विद्या अध्ययन किया। सुदामा गरीब ब्राह्मण थे। जबकि कृष्ण द्वारिका के शासक दोनो की मित्रता आज भी हमारे लिये प्रेरणादायी है। सुदामा का जब द्वारिका में कृष्ण के यहां आगमन हुआ तो कृष्ण व उनकी सभी रानियों ने सुदामा का खूब आतिथ्य सत्कार किया। श्री कृष्ण ने सुदामा के परिवार की यथासंभव सहायता भी की। कृष्ण सुदामा मित्रता की कथा प्रेरणा देती है कि हम अपने गरीब मित्र को उसके हाल पर न छोड़े बल्कि जो भी हो सके उसकी मदद करें। मौके पर पंडित रमानाथ होता, पंडित योगेश महापात्र ,बसंत प्रधान, नागेश्वर प्रधान,राधावल्लभ प्रधान, दिनेश प्रधान, अजित प्रधान, पंचु गोपाल महतो, हेमसागर प्रधान, गणेश प्रधान, सारंग ग्वाला, अजित सरदार, सागर प्रधान, बैजनाथ प्रधान, पंचानन, दुयोधन, सीता, सफल प्रधान आदि उपस्थित थे।
May 24, 2025 2: 22 am
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