खरसावां में गरीबों के मसीहा के रूप में प्रसिद्ध डॉ
रंगाधर मिश्रा का 92 साल की उम्र निधन, लगता था मरीजों का मेला,
गरीबों के स्वास्थ सेवा में समर्पित रहा उनका जीवन
kharsawan खरसावां में गरीबों के मसीहा के रूप में प्रसिद्ध डॉ रंगाधर मिश्रा का निधन हो गया। करीब 92 वर्षीय डॉक्टर डॉ रंगाधर मिश्रा पिछले कुछ दिनों से बीमार थे और उनका इलाज घर पर चल रहा था। शनिवार की रात 9‐15 बजे उनका निधन हो गया। वे अपने घर पर अंतिम सांस ली। उनने अंतिम दर्शन के लिए बड़ी संख्या में लोग खरसावां के बजारसाई स्थित उनके आवास पर पहुचे रहे है। ज्ञात हो कि यूं तो चिकित्सक को ईश्वर का दूसरा रूप कहा जाता है, लेकिन शहर से लेकर गांव तक के सैकड़ों गरीब डॉ रंगाधर मिश्रा को ईश्वर का दूसरा रूप मानते थे। कारण यह कि वह पिछले 44 वर्षो गरीबों के स्वास्थ सेवा में समर्पित उनका जीवन रहा। सुबह हो या शाम उनके दरवाजे से कोई जरूरतमंद गरीब निराश नहीं लौटता। पूरी तन्मयता से उसका इलाज करते हैं। डा. मिश्रा ने समाज सेवा के लिए चिकित्सा को माध्यम बनाया है। सुबह आंख खुलने के बाद वह अपने दवा की दुकान का कमान संभाल लेते हैं। यह क्रम पूरे दिन चलता है। जब तक मरीज आते हैं, तब तक डा. मिश्रा पूरी सक्रियता से उन्हें सेवा देते हैं। इस दौरान वह गरीबों को नहीं भूलते। चिकित्सा सुझाव देने के अलावा वे जरूरतमंदों को दवा देते हैं। खरसावां का एक छोटा सा कस्बा परंतु उसके चारों ओर सैकड़ों बड़े गांव भी हैं। जनजातीय बहुल इस इलाके में गरीबी बेकारी और अंधविश्वास से लबरेज जनजाति लोग, जिसमें मजदूर तबके के लोगों की बहुतायत है निवास करते हैं। कुपोषण एवं गंदगी के कारण बीमारी और इलाज के अभाव में मौत उसकी नियति बन गई है। ऐसे में इन लाचार और गरीब लोगों के लिए मसीहा के रूप में प्रसिद्ध हो डॉ मिश्रा गए है। चिकित्सक रंगाधर मिश्रा दिखने में कमजोर थे। परंतु स्वास्थ्य कार्यों वाले 92 वर्ष के रंगाधर मिश्रा पिछले 44 वर्षों से स्वास्थ सेवा के क्षेत्र में समाज को अपनी सेवा कर रहे थे। इसके पास दिखाने के लिए इनके पास कोई बड़ी डिग्री तो नहीं है। परंतु अनुभव ऐसा है कि डायनोसिस ऐसा कि अच्छे से अच्छे डॉक्टर भी कान काट दे। खरसावां बाजार के बीच अपने मकान में उनका एक छोटी सी दवा दुकान है। जहां वे प्रतिदिन 100 के लगभग मरीजों को चिकित्सा सेवा प्रदान करते हैं। ग्रामीणों के बीच रोगी डॉक्टर के नाम से प्रसिद्ध चिकित्सक का कोई स्थानीय फीस नहीं है। कोई स्वच्छता से कुछ भी दे दिया तो रख लिया वरना देते थे। वे अपने पिछे एक पुत्र और तीन पुत्री छोड गए है। झारखंड के तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री दिनेश सारंगी ने उन्हें प्रशस्ति पत्र भी प्रदान किया था।
दौडी शोक की लहर
झारखंड के पुर्व मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा ने डॉ रंगाधर मिश्रा के निधन पर शोक व्यक्त करते हुए कहा कि खरसावां की शान थे। उन्होने अपने जीवनकाल में हजारो परिवारों को खुशियां दी। ईश्वर उनकी आत्मा को शांति प्रदान करे और उनके परिजनों को सह दुख सहने की शक्ति दे। जबकि खरसावां विधायक दशरथ गागराई ने उन्हे भावभीनी श्रक्षजंलि देते हुए कहा कि डॉ रंगाधर मिश्रा का निधन खरसावां ही नही बल्कि सराकेला खरसावां जिला के लिए अपूरणीय क्षति है। उनका जाना चिकित्सा जगत के लिए भी भारी क्षति है। पूर्व विधायक मंगल सिंह सोय ने भी डॉ रंगाधर मिश्रा के निधन पर शोक प्रकट किया।