खरसावां में विधि विधान से चड़क पूजा शुरू, निकली शुभ व माया घट, पूजा-अर्चना कर की सुख-शांति की कामना
Kharsawan खरसावां में सरकारी खर्च पर होने वाले एवं चिलकू के चड़क पूजा पारंपरिक विधि विधान के साथ शुरू हो गई खरसावां मे पारंपरिक चडक पुजा की शुरुआत घट यात्रा कलश यात्रा के साथ शुरू हो गई है। गुरुवार को रात खरसावां के कुम्हार साही स्थित सीना नदी घाट पर शाम को माथा धट एवं रात 1 बजे मां दुर्गा की यात्रा घट निकल गई। रात को खरसावां राजा प्लेस परिसर पर राजपुरोहित अबुजाख्य आचार्य द्वारा वैदिक विधि विधान के साथ पूजा अर्चना की गई। चडक पुजा के अंतर्गत 9 से 14 अप्रैल तक प्रतिदिन अलग-अलग धट यात्राएं निकल जाएगी। वृंदावन धट की रामगढ़ धाट सीना नदी से बाजार साही के शिव मंदिर तक लाया जाएगा। जबकि बाकी पांच घटकों को कुम्हार साही सोना नदी घाट से लाकर शिव मंदिर में स्थापित किया जाएगा। खरसावां में चडक पुजा का आयोजन सरकारी खर्चे से किया जाता है। इस पूजा पर हर वर्ष लगभग 40 हजार रुपये खर्च होती है। जिसे खरसावां अंचल कार्यालय के माध्यम से बहन किया जाता है। बताया जाता है कि चडक पुजा की परंपरा राजा राज बाड़ी के समय से चली आ रही है। सन 1947 में रियासतों के भारत में विलय के समय हुए एग्रीमेंट के तहत इस धार्मिक आयोजन की सरकारी सहयोग जारी रखने की व्यवस्था को गयी थी। चैत्र पर्व के धार्मिक आयाम के रूप में चंडक पुजा का विशेष महत्व है। जो आज भी आस्था और परंपरा का प्रतीक बना हुआ है। मां दुर्गा को यात्रा धट में रात को बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित थे।