बामनी हिंसक झड़प मामले में आजसू पार्टी के केंद्रीय महासचिवनेता हरे लाल महतो समेत 9 आरोपी बरी
Chandil नीमडीह थाना क्षेत्र के बामनी में चड़क पूजा के दौरान पुलिस और ग्रामीणों के बीच हिंसक झड़प के मामले में चार साल बाद आजसू नेता हरे लाल महतो समेत नौ आरोपी को न्यायालय ने बरी कर दिया है। उक्त मामले पर अनुमंडलीय न्यायालय में गत 17 मई 2025 को अंतिम बहस हुआ था। वहीं, आज सभी आरोपियों को बरी कर दिया गया। आजसू नेता हरे लाल महतो एवं अन्य आरोपियों की ओर से झारखंड उच्च न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता आरएसपी सिन्हा ने मामले की सुनवाई के दौरान अपना पक्ष रखा था, जिसके बाद आज 20 मई को एडीजे सचिदानंद सिन्हा की अदालत ने अंतिम फैसला देते हुए आजसू पार्टी के केंद्रीय महासचिव हरे लाल महतो समेत नौ आरोपियों को बरी कर दिया। मामले पर सुनवाई के दौरान झारखंड उच्च न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता आरएसपी सिन्हा ने अदालत में दलील कि घटना के दिन बामनी में किसी तरह का मेला नहीं लगा था बल्कि वहां के समस्त सनातनी (हिंदू) लोग अपने गांव में ही पूजा अर्चना कर रहे थे। उन्होंने बताया कि यदि मेला का आयोजन किया गया होता तो मनोरंजन के कई साधन उपलब्ध होते, अनेकों दुकान लगते, लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं था। वहां पर केवल साधारण ढंग से पूजा अर्चना की जा रही थी। वरिष्ठ अधिवक्ता ने अदालत को यह भी बताया कि नीमडीह के तत्कालीन प्रखंड विकास पदाधिकारी के आवेदन के आधार पर एफआईआर दर्ज किया गया था, जिसमें ग्रामीणों द्वारा हमला किए जाने से तत्कालीन थाना प्रभारी अली अकबर खान को गंभीर चोट लगने का आरोप लगाया गया है, जबकि थाना प्रभारी ने अपनी गवाही में इस बात का जिक्र नहीं किया है कि उन्हें किसी तरह की चोट लगी थी। अधिवक्ता ने अदालत को बताया कि घटना वाले दिन हरे लाल महतो बामनी गांव में थे ही नहीं, फिर किस आधार पर उनके ऊपर संगीन आरोप लगाकर जेल भेज दिया गया था। प्रखंड विकास पदाधिकारी के आवेदन के आधार पर नीमडीह थाना प्रभारी घटना के पीड़ित थे और थाना प्रभारी स्वयं ही जांच अधिकारी भी बन गए थे, ऐसे में जांच अधिकारी द्वारा मनगढ़ंत जांच रिपोर्ट सौंपा गया है, इसकी पूरी संभावना है। वरिष्ठ अधिवक्ता आरएसपी सिन्हा ने अदालत में दलील देते हुए कहा कि बामनी के ग्रामीण साधारण ढंग से अपने परंपरा निर्वहन करते हुए पूजा अर्चना कर रहे थे, वहां पर पुलिस ने वेवजह बखेड़ा खड़ा कर दिया और निर्दोष लोगों को आरोपी बनाया है। घटना को लेकर प्रखंड विकास पदाधिकारी की शिकायत में कोविडकाल एवं लॉकडाउन का जिक्र किया गया है, लेकिन उस समय लॉक डाउन अथवा कोरोनाकाल का समय चल रहा था या नहीं इसकी कोई लिखित दस्तावेज शिकायतकर्ता के पास उपलब्ध नहीं है। आरएसपी सिन्हा ने बताया कि पुलिस ने जिन ग्रामीणों को गवाह बनाया था, उन गवाहों ने अदालत में कहा कि घटना के समय वे गांव में मौजूद नहीं थे।
बता दें कि 23 अप्रैल 2021, को बामनी गांव में चड़क पूजा का आयोजन हुआ था। उस समय कोरोना का प्रकोप चल रहा था तथा लॉकडाउन लगी हुई थी। ग्रामीण अपना परंपरा निर्वहन करते हुए साधारण रूप से भोक्ता टांगान कर रहे थे कि उस दौरान नीमडीह पुलिस ने ग्रामीणों पर लाठीचार्ज कर दी थी। उसके बाद पुलिस और ग्रामीणों के बीच हिंसक झड़प हुआ था। उस समय नीमडीह के तत्कालीन प्रखंड विकास पदाधिकारी मुकेश कुमार के लिखित शिकायत पर नीमडीह पुलिस ने आजसू नेता हरे लाल महतो समेत 41 लोगों के ऊपर एफआईआर दर्ज किया था। उनमें से हरे लाल महतो समेत 10 ग्रामीणों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था, जिनमें एक नाबालिग भी था। आजसू नेता हरे लाल महतो के ऊपर आरोप था कि उनके कहने पर ग्रामीणों ने तत्कालीन थाना प्रभारी अली अकबर खान समेत पुलिस बल पर जानलेवा हमला कर दिया था। आश्चर्यजनक बात यह था कि तत्कालीन प्रखंड विकास पदाधिकारी ने अपनी शिकायत में दिव्यांग, मृतक व नाबालिग को पुलिस के साथ मारपीट करने का आरोपी बनाया था और उससे भी हैरानी की बात थी कि उस समय के तत्कालीन नीमडीह थाना प्रभारी सह जांचकर्ता अली अकबर खान ने मृतकों, दिव्यांग व नाबालिग लोगों के नाम पर एफआईआर दर्ज भी कर दिया था। हालांकि, अदालत ने गवाहों के अभाव तथा वरिष्ठ अधिवक्ता आरएसपी सिन्हा की मजबूत दलील के आधार पर आजसू नेता हरे लाल महतो समेत अन्य आरोपियों को केस से बरी कर दिया।