खरसावां में उत्कल सम्मेलनी ने बंदे उत्कल जननी के
रचियता लक्ष्मीकांत की 136 वां जंयती धुमधाम से मनाई, लक्ष्मीकांत ने
ओडिया साहित्य में दिया था महत्वपूर्ण योगदान-सुशील
Laxmikant’s 136th birth anniversary celebrated in Kharsawanखरसावां राजमहल परिसर में उत्कल सम्मेलनी शिक्षक संघ सरायकेला खरसावां एवं उडिया समाज के द्वारा कांतो कवि लक्ष्मीकांत महापात्र की 136 वां जंयती धुमधाम से मनाई गई। इन्होने वंदे उत्कल जननी कविता लिखा था। यह एक उडिया देशभक्ति कविता है। इस दौरान उडीया समाज के लोगों ने बारी-बारी से उनके चित्र पर श्रद्वाजंलि दी। मौके पर उत्कल सम्मेलनी के जिला प्रर्यवेक्षक सुशील कुमार सांरगी ने कहा कि लक्ष्मीकांत ने नाठक, परोडी, कविता, लघु-कथा, उपन्यास विधाओ में साहित्यिक रचनसएं की। उनकी साहित्यिक शैली में राष्ट्रवादी जोश और तीखा व्यंग्य था। वह एन कुछ लेखको मेे से एक थे जिन्होने उस अवधि के दौरान ओडिया साहित्य में महत्वपूर्ण योगदान दिया जब इसके अस्तित्व को खतरा था। उन्होने कहा कि एक राजनीतिक आलोचक के रूप में, राजनेताओ और सामंती प्रमुखो की तीखी आलोचना ने उन्हे प्रतिकुल प्रतिष्ठा दिलाई। वह एक संगीतकार और अभिनेता भी थे। उन्होने उडीया में प्रइर्शन कला की समृद्व परंपरा में भी बहुत योगदान दिया है। वही उत्कल सम्मेलनी के सचिव अजय प्रधान ने कहा कि लक्ष्मीकांत महापात्र ने अपने गांव में गोपीनाथ नाटक समाज नामक एक नाटकीय मंडली बनाई। कंटकबी के गीत जैसे बंदे उत्कल जननी, कोटि कोटि कांठे आजी, उदय निसान बजाई वेरी स्वतंत्रता संग्राम और राज्य-हुड आंदोलन के दौरान ओडिया स्वतंत्रता सेनानियो के युद्व के नारे थे। उनकी रचना बंदे उत्कल जननी को उत्कल सम्मेलन के बालासोर सत्र के स्वागत गीत के रूप में अपनाया गया था। जो संगठन अलग उडीया राज्य आंदोलन का नेतृत्व करता था। इसी गीत को 7 जून 2020 में ओडिसा के राज्य गान का दर्जा दिया गया। इस दौरान मुख्य रूप से उत्कल सम्मेलनी के जिला अध्यक्ष सुमंत चंद्र मोहती, जिला सचिव अजय प्रधान, उत्कल सम्मेलनों के जिला प्रर्यवेक्षक सुशील कुमार सांरगी, सपन मंडल, जयजीत षाड़ंगी, रंजीत मंडल, भारत मिश्रा आदि उपस्थित थे।
April 17, 2025 6: 46 am
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