खरसावां के मनोकामना मंदिर में मना 46 वां वाषिक उत्सव, कार्तिक पूर्णिमा पर श्रद्वालुओं ने लगाई आस्था की डुबकी, पूजा अर्चना कर की सुख-शांती कामना
Kartik Purnima खरसावां के फोरेस्ट कॉलोनी स्थित श्री श्री मनोकामना नाथ महादेव मंदिर में सोमवार को वाषिक उत्सव मनाया गया। कार्तिक पूर्णिमा की विधिवत पूजा अर्चना की गई। श्री श्री मनोकामना नाथ महादेव मंदिर में वर्ष 1977 से पूजा अर्चना होती आ रही है। महादेव मंदिर का 46 वॉ वाषिक उत्सव मनाया जा रहा है। मंदिर में सुबह से पूजा अर्चना शुरू हो गई। पूजा अर्चना के लिए महिलाओं की भीड़ भी उमड पडी। महिला श्रद्वालुओं ने पूजा-अर्चना कर सुख-शांती की कामना की। मंदिर के पूजारी रंजीत मिश्रा व दिलीप मिश्रा ने पारम्परिक विधि विधान के तहत पूजा अर्चना सर्म्पन कराया। वही मंदिर परिसर में वार्षिक उत्सव पर भंड़ारा का आयोजन किया गया। इस दौरान खरसावां के विभिन्न क्षेत्र से मंदिर पहुचे लगभग एक हजार श्रद्वालुओं ने प्रसाद का ग्रहण वितरण किया। वही सोमवार की सुबह पवित्र कार्तिक पूर्णिमा के स्नान को श्रद्वालु अहले सुबह से ही पूजन सामग्रियों के साथ खरसावां, बडाबाम्बों, आमदा, कुचाई नदी घाटो पर पहुच गये थे। नदी में पवित्र स्नानोपरांत श्रद्वालुओं ने नदी तट पर तुलसी के पौधे की विधिवत पूजा अर्चना व आरती की। तुलसी माता की पूजा अर्चना के उपरंात श्रद्वालुओं ने उनके साथ पूजन सामग्रियों का विसर्जन किया। खरसावां वासियों ने परंपरानुसार कदली (केले) के पेड़ के तने के विशेष दोंगा (नाव) पर रखकर नदी में दीपदान किया। दीप दान की प्रक्रिया पश्चात व्रतियों ने सामर्थ्यानुसार गरीबों व भिक्षुओं को चावल आदि का दान दिया। इस दौरान मनोकामना नाथ महादेव मंदिर मुख्य रूप से खरसावां वन पदाधिकारी शशि प्रकाश रजन, प्रभारी वनपाल अमित पटनायक, विशाल महतो, वनकर्मी गोविंद गोप, राजेश महतो, दिलीप मिश्रा आदि उपस्थित थे।
पूर्णिमा पर केले के नाव बहाए
खरसावां में कार्तिक पूर्णिमा पर महिलाओं ने विभिन्न नदियों में स्नान कर केले वृक्ष के छिलके से बने नाव पानी में प्रवाहित किए। श्रद्वालुओं ने बताया कि कार्तिक पूर्णिमा के दिन सुबह स्नान कर केले के छिलके से बनी नाव प्रवाहित करने की पंरमरा है। इससें घर के लोग दीर्घाय होते है। नाव को फूल व अगरबती से सजाया जाता है। इस कारण स्थानीय भाषा में इसे डोंगाभोषा पूर्णिमा भी कहा जाता है।