खरसावां में महाशिवरात्रि के पर हुई भजन संध्या,
धनबाद के ख्याति प्राप्त कलाकारों ने भजन संध्या में समा
बांधा, जमकर थिरके लोग, मेरा भोला है भंडारी‐‐‐,
kharsawan खरसावां के राजमहल चौक में हर महादेव समिति छोटा शिव मंदिर बाजारसाई खरसावां के द्वारा महाशिवरात्रि के उपलक्ष में भव्य भजन संध्या का आयोजन किया गया। विगत रात शुरू हुआ भजन संध्या का दौर अल सुबह तक चला। भजन संध्या में धनबाद से आए ख्याति प्राप्त कलाकारों ने अपने भजनो से समां बांधा दिया। भजन संध्या कार्यक्रम का विधिवत उदघाटन समाजसेवी गुरु प्रसाद सारंगी एवं शिवो नायक ने संयुक्त रूप से फिता काट कर किया। वही उन्हे अंग वस्त्र एवं गुलदस्ता देकर स्वागत किया गया। रात्रि से भजन संध्या का दौर शुरू हुआ। भजन संध्या में धनबाद से आए हुए सुप्रसिद्ध गायक सुदेश सिंह, कुमार बबलु, मुन्ना यशस्वी, माास्टर जुगनु, श्वेता तिवारी, संधीर प्रमाणिक, श्वेता कुमार, उमेश सिंह ने एक से बढ़कर एक प्रस्तुतियां दी। मेरा भोला है भंडारी‐‐‐, राम जी से राम राम कहियो‐‐‐, भोले का दरबार सजा है‐‐‐, घर आजे माता‐‐‐, मैं थारे धोक लगता.., बालाजी का दर्शन सूं पार लगे संकट‐‐‐, मीठे बोल हदय से तोल यही जीवन का मोल..,कान्हा ने बजाई बांसुरी दौडी चली आई राधेरानी.., जय जय गणेश पधारे‐‐‐, मेरा भारत का बच्चा बच्चा जय जय श्री राम बोलेगा‐‐‐, हाथी ना घोडा ना पैदल सवारी‐‐‐,आदि भजनों की प्रस्तुतियों से श्रोताओं को भक्ति नृत्य करने के लिए विवश कर दिया। सहित भजनों की प्रस्तुति देकर अतिथियों व श्रोताओं की वाहवाही लूटी। इस दौरान मुख्य रूप से प्रमुख मनेन्द्र जामुदा, समाजसेवी गुरु प्रसाद सारंगी, शिवो नायक सहित हर महादेव समिति छोटा शिव मंदिर बाजारसाई पूजा समिति के सभी सदस्य उपस्थित थे।
धार्मिक क्रिया हमें ऊर्जावान बनाती है- गुरु प्रसाद सारंगी
खरसावां के समाजसेवी गुरु प्रसाद सारंगी ने कहा कि धार्मिक क्रिया हमें ऊर्जावान बनाती है। धार्मिकता ही मानव को मानव से जोड़ता है। धर्म के माध्यम से ही हम अपने अंदर की सत्य की खोज कर पाते है और परमात्मा से साक्षात्कार का मार्ग सुलभ हो जाता है। उन्होने कहा कि यह धर्म ही है जो हमें जीवन को अनुभव करने की क्षमता प्रदान करती है। हमारी संस्कृति का मूल स्रोत धर्म ही है। अर्थात धर्म हमारी संस्कृति का प्राण है। इसलिए हमारी संस्कृति आध्यात्मिक है। उन्होने कहा कि जीवन में सच्ची सफलता और सुख-शांति हासिल करने के लिए व्यक्ति का आध्यात्मिक उत्थान बहुत ज़रूरी है। यह तभी संभव होगा, जब वह धर्म और संस्कृति की अहमियत को समझते हुए सच्चे मार्ग पर चलेगे।